रामवृक्ष बेनीपुरी – बालगोबिन भगत | Class 10 Hindi Chapter 9 Notes
पुस्तक: क्षितिज भाग 2 (गद्य खंड)
लेखक: रामवृक्ष बेनीपुरी
📘 पाठ परिचय
‘बालगोबिन भगत’ एक लघुकथा है, जिसे प्रसिद्ध लेखक रामवृक्ष बेनीपुरी ने लिखा है। यह कहानी एक ऐसे साधारण व्यक्ति की है जो अपने सच्चे भक्ति भाव, त्याग और समाजसेवा
कहानी के केंद्र में हैं बालगोबिन भगत, जो एक सच्चे भक्त, किसान और समाजसेवी हैं। उनका जीवन संयम, त्याग, परोपकार और भक्ति का आदर्श उदाहरण है।
🧑🎓 लेखक परिचय
- नाम: रामवृक्ष बेनीपुरी
- जन्म: 23 दिसंबर 1899, बिहार
- कार्य क्षेत्र: लेखक, स्वतंत्रता सेनानी, पत्रकार
- लेखन शैली: भावनात्मक, यथार्थवादी और प्रेरणादायक
- प्रमुख रचनाएँ: माटी की मूरतें, गंधर्व-गाथा, ज़ंजीर
📚 कहानी का सारांश
‘बालगोबिन भगत’ एक ऐसे ग्रामीण वृद्ध की कहानी है जो राम नाम का परम भक्त है। उनका जीवन पूर्णतः संयमित, साधारण और परोपकारी है। वे कभी किसी से क्रोध नहीं करते, न किसी से द्वेष रखते हैं। उनका पहनावा साधारण, खान-पान सादा और मन एकदम पवित्र है।
वे रोज़ राम नाम का कीर्तन करते हैं और गांव के लोग उनके आसपास इकट्ठा होकर प्रभु-भक्ति में डूब जाते हैं। यहां तक कि जब उनके इकलौते पुत्र की मृत्यु हो जाती है, तब भी वे राम नाम का कीर्तन करना नहीं छोड़ते, क्योंकि उनके लिए यह भक्ति ही सर्वोपरि है।
कहानी में लेखक बालगोबिन भगत के चरित्र के माध्यम से यह दिखाते हैं कि सच्चा भक्त वही है जो सुख-दुख में एक समान रहे और अपने कार्य में अडिग रहे।
💡 मुख्य संदेश
- सच्ची भक्ति में आत्म-त्याग और दृढ़ विश्वास आवश्यक है।
- धार्मिक आडंबर से अधिक महत्व सेवा और सच्चे आचरण का है।
- विराट व्यक्तित्व सरल जीवन में भी संभव है।
🎨 भाषा एवं शैली
- भाषा: सरल, ग्रामीण रंग में रंगी हुई
- शैली: भावनात्मक, वर्णनात्मक, प्रेरणादायक
- विशेषता: पात्रों का जीवंत चित्रण
❓ महत्वपूर्ण प्रश्न-उत्तर
- प्रश्न: बालगोबिन भगत का जीवन कैसा था?
उत्तर: उनका जीवन संयमित, सादा, सेवा-भाव से युक्त और प्रभु-भक्ति में डूबा हुआ था। - प्रश्न: बालगोबिन भगत की भक्ति का सबसे बड़ा उदाहरण क्या है?
उत्तर: पुत्र की मृत्यु के बाद भी उन्होंने राम नाम का कीर्तन नहीं छोड़ा। - प्रश्न: लेखक ने बालगोबिन भगत को क्यों आदर्श बताया है?
उत्तर: क्योंकि वे त्याग, संयम, सेवा और सच्ची भक्ति के प्रतीक हैं।
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