स्वयं प्रकाश – नेताजी का चश्मा | Class 10 Hindi Chapter 8 Notes
पुस्तक: क्षितिज भाग 2 (गद्य खंड)
लेखक: स्वयं प्रकाश
📘 पाठ परिचय
‘नेताजी का चश्मा’ एक व्यंग्यात्मक कहानी है जिसे प्रसिद्ध साहित्यकार स्वयं प्रकाश ने लिखा है। यह कहानी भारतीय समाज, राजनीति और आम आदमी की मानसिकता पर करारा व्यंग्य करती है। नेताजी के चश्मे की खोज के बहाने लेखक ने राजनीति, लालफीताशाही, मीडिया और लोगों की दिखावटी देशभक्ति
🧑🎓 लेखक परिचय
- नाम: स्वयं प्रकाश
- जन्म: 1947, मध्यप्रदेश
- लेखन शैली: व्यंग्यात्मक, सामाजिक यथार्थ से जुड़ी हुई
- प्रमुख रचनाएँ: झूठ सच, बकरी का कट्टा, नेताजी का चश्मा
- विशेषता: तीव्र व्यंग्य और गहरी सामाजिक चेतना
📚 कहानी का सारांश
यह कहानी एक संग्रहालय से नेताजी सुभाष चंद्र बोस के चश्मे के गायब होने
नेताजी का चश्मा एक प्रतीक
लेखक इस पूरे प्रसंग के माध्यम से यह दिखाते हैं कि हमारे समाज में हर चीज नौटंकी और प्रचार का माध्यम
💡 मुख्य विचार / संदेश
- राजनीति और समाज में दिखावे की देशभक्ति
- मूल्य, नैतिकता और आदर्श केवल प्रतीक बनकर रह गए हैं।
- व्यवस्था की मिथ्याचारिता और मीडिया की अति पर करारा व्यंग्य।
🎨 भाषा और शैली
- भाषा: सरल, व्यंग्यात्मक, बोलचाल की शैली
- शैली: यथार्थवादी और प्रतीकात्मक
- मुख्य विशेषता: कटाक्ष और हास्य के माध्यम से गंभीर सच्चाइयों को उजागर करना
❓ महत्वपूर्ण प्रश्न-उत्तर
- प्रश्न: नेताजी के चश्मे के गायब होने पर समाज में कैसी प्रतिक्रिया होती है?
उत्तर: सभी स्तरों पर हड़कंप मच जाता है – अफसर, राजनेता, मीडिया और जनता सभी प्रतिक्रिया देते हैं लेकिन कोई भी सच्चाई से नहीं जुड़ता। - प्रश्न: नेताजी का चश्मा किसका प्रतीक है?
उत्तर: नैतिकता, आदर्श, सच्चाई और देशभक्ति का। - प्रश्न: लेखक ने इस कहानी के माध्यम से क्या दिखाने का प्रयास किया है?
उत्तर: समाज में दिखावे की देशभक्ति, राजनैतिक दिखावा और मीडिया की अतिशयोक्ति।
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