नागार्जुन – यह दंतुरित मुस्कान | Class 10 Hindi Chapter 6 Notes
पुस्तक: क्षितिज भाग 2 (काव्य खंड)
लेखक: नागार्जुन
📘 परिचय
‘यह दंतुरित मुस्कान’ कविता हिंदी के प्रसिद्ध जनकवि नागार्जुन द्वारा रचित है। यह कविता एक नवजात शिशु की मुस्कान
कवि शिशु की मुस्कान को देखकर आश्चर्यचकित और आनंदित हो जाते हैं। यह मुस्कान न केवल एक व्यक्तिगत भाव है, बल्कि एक सामाजिक संदेश
🧑🎓 लेखक परिचय – नागार्जुन
- पूरा नाम: वैद्यनाथ मिश्र 'नागार्जुन'
- हिंदी और मैथिली दोनों भाषाओं में लेखन
- साहित्य का उद्देश्य: आम आदमी की आवाज़ बनना
- प्रमुख रचनाएँ: बलचनमा, रतिनाथ की चाची, पत्रहीन नग्न गाछ (काव्य संग्रह)
- काव्य शैली: यथार्थवादी, जनसरोकार से जुड़ी हुई
📚 कविता का सारांश (सरल भाषा में)
इस कविता में कवि एक नवजात शिशु की प्यारी सी मुस्कान का वर्णन करते हैं। यह मुस्कान कवि को एक नये जीवन, एक नयी उम्मीद और ऊर्जा का अनुभव कराती है। कवि मानते हैं कि यह मुस्कान कोई साधारण बात नहीं, बल्कि प्रकृति की सबसे सुंदर अभिव्यक्ति
कवि को लगता है कि जैसे इस मुस्कान में कोई गहराई है, जैसे यह मुस्कान भी उनसे कुछ कहना चाहती है। उसमें संवेदना, सजीवता और जीवन का सच
💡 कविता का संदेश
- बच्चों की मासूमियत में जीवन की सच्ची सुंदरता छुपी होती है।
- यह मुस्कान हमें कठिनाइयों के बीच भी आशावादी बनाए रखती है।
- नवजात शिशु का चेहरा संसार के प्रदूषण से अछूता, पवित्र प्रतीक है।
✍️ प्रमुख पंक्तियाँ और भावार्थ
1. यह दंतुरित मुस्कान!
👉 यह पंक्ति शिशु की नन्हीं सी मुस्कान का बखान करती है जो कवि के मन को छू जाती है।
2. जैसे खिल उठे हों ज्यों रजनीगंधा के फूल
👉 कवि मुस्कान की तुलना रजनीगंधा जैसे खूबसूरत फूलों से करता है।
3. जैसे उगे हों दूब पर ओस-बिंदु...
👉 शिशु की मुस्कान को वह कोमलता और ताजगी से जोड़ते हैं।
🎨 भाषा और काव्य-सौंदर्य
- भाषा: सरल, सरस और हृदयस्पर्शी
- अलंकार: उपमा, रूपक, अनुप्रास
- रस: वात्सल्य रस
- शैली: चित्रात्मक वर्णन शैली
❓ महत्वपूर्ण प्रश्न-उत्तर
- प्रश्न: कवि को शिशु की मुस्कान कैसी प्रतीत होती है?
उत्तर: जैसे रजनीगंधा के फूल खिल उठे हों या दूब पर ओस की बूंदें चमक रही हों। - प्रश्न: कविता में कौन-सा रस है?
उत्तर: वात्सल्य रस - प्रश्न: कवि ने शिशु की मुस्कान की तुलना किससे की है?
उत्तर: रजनीगंधा के फूलों, दूब पर ओस-बिंदु, और अंधकार में जुगनुओं से।
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