मंगलेश डबराल – सामान्तर | Class 10 Hindi Chapter 7 Notes

पुस्तक: क्षितिज भाग 2 (काव्य खंड)
लेखक: मंगलेश डबराल

📘 परिचय

‘सामान्तर’ कविता हिंदी के प्रसिद्ध समकालीन कवि मंगलेश डबराल द्वारा लिखी गई है। इस कविता में कवि ने आज की वैज्ञानिक, मशीनी और अत्यधिक तकनीकी दुनिया में इंसान की स्थिति को दर्शाया है। कविता यह सवाल उठाती है कि क्या हम आज भी सच में "मानव" हैं या सिर्फ मशीनी ढांचे में ढल चुके हैं?

🧑‍🎓 लेखक परिचय

  • नाम: मंगलेश डबराल
  • जन्म: 1948, टिहरी गढ़वाल, उत्तराखंड
  • भाषा: हिंदी
  • विशेषता: सरल भाषा, गहरी संवेदना, ग्रामीण और सामाजिक जीवन की सच्चाइयों का चित्रण
  • प्रमुख काव्य संग्रह: घर का रास्ता, पहाड़ पर लालटेन

📚 कविता का सारांश

कविता ‘सामान्तर’ में कवि मंगलेश डबराल मशीनों की दुनिया की तुलना मनुष्य से करते हैं। वे बताते हैं कि मशीनें हमारे साथ-साथ चल रही हैं — दिखने में, काम करने में — लेकिन उनमें भावनाएँ, संवेदनाएँ और आत्मा नहीं होती। वे इंसानों के "सामान्तर" तो हैं, लेकिन उनमें मानवीय गुण नहीं हैं।

कवि को चिंता है कि अब इंसान भी मशीन की तरह हो चला है — भावना रहित, आत्महीन, संवेदना-विहीन। हर चीज़ एक सिस्टम में बंधी हुई है और व्यक्ति धीरे-धीरे संवेदना खोता जा रहा है।

💡 कविता का मुख्य संदेश

  • मशीनों से घिरी इस दुनिया में इंसान अपनी मानवता खो रहा है।
  • हम तकनीक के साथ जी तो रहे हैं, पर उनके जैसे बनते जा रहे हैं।
  • इंसान को अपनी भावनाएं और संवेदनशीलता बनाए रखनी चाहिए।

🎨 काव्य विशेषताएँ

  • भाषा: सरल, आधुनिक, प्रभावशाली
  • शैली: प्रतीकात्मक, चिंतनशील
  • अलंकार: रूपक, उपमा, विरोधाभास
  • रस: शांत रस

❓ महत्वपूर्ण प्रश्न-उत्तर

  1. प्रश्न: कविता का शीर्षक 'सामान्तर' क्यों है?
    उत्तर: क्योंकि कवि दिखाते हैं कि मशीनें हमारे साथ चलती हैं लेकिन वे हमारी तरह नहीं होतीं – वे केवल समानांतर हैं।
  2. प्रश्न: कवि किस जीवन शैली पर चिंता व्यक्त करते हैं?
    उत्तर: मशीनी, आत्मविहीन और संवेदनाशून्य जीवन शैली पर।
  3. प्रश्न: कवि का दृष्टिकोण क्या है?
    उत्तर: कवि चिंतित हैं कि इंसान भी मशीन जैसा होता जा रहा है और उसे अपनी भावनाओं को बचाए रखना चाहिए।

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