जयशंकर प्रसाद – आत्मकथ्य | Class 10 Hindi Chapter 4 Notes
पुस्तक: क्षितिज भाग 2 (गद्य खंड)
लेखक: जयशंकर प्रसाद
📘 परिचय
‘आत्मकथ्य’ एक आत्मवृत्तात्मक रचना है जिसमें प्रसिद्ध साहित्यकार जयशंकर प्रसाद ने अपने विचारों, लेखन जीवन और साहित्य के प्रति दृष्टिकोण को सरल लेकिन गहराई से प्रस्तुत किया है। यह रचना पाठकों को लेखक के अंतर्मन से परिचित कराती है।
🧑🎓 लेखक परिचय – जयशंकर प्रसाद
- हिंदी छायावाद युग के चार स्तंभों में से एक।
- कवि, नाटककार, उपन्यासकार और कथाकार के रूप में प्रसिद्ध।
- प्रमुख रचनाएँ: कामायनी (काव्य), स्कंदगुप्त, ध्रुवस्वामिनी (नाटक), कंकाल, तितली (उपन्यास)।
📚 पाठ का सारांश (सरल भाषा में)
लेखक बताते हैं कि वे बचपन से ही गंभीर और संवेदनशील स्वभाव के थे। उन्होंने जीवन में कई संघर्षों का सामना किया, लेकिन साहित्य से उनका प्रेम कभी नहीं घटा।
उन्होंने लेखन को कभी यश या प्रसिद्धि पाने का साधन नहीं माना। वे मानते हैं कि लेखक को अपने अंदर की सच्चाई को व्यक्त करना चाहिए और समाज के सामने मानवता के मूल्यों को रखना चाहिए।
उनका कहना है कि लेखक को भी आम इंसान की तरह रहना चाहिए और लेखनी के माध्यम से समाज को मार्गदर्शन देना चाहिए।
💡 प्रमुख विचार
- साहित्यकार को आत्मसम्मान और संवेदना से भरपूर होना चाहिए।
- लेखक का उद्देश्य प्रसिद्धि नहीं, सच्चाई का उजागर करना होना चाहिए।
- साहित्य समाज का दर्पण है, जिससे सुधार की प्रेरणा मिलती है।
❓ महत्वपूर्ण प्रश्न-उत्तर
- प्रश्न: 'आत्मकथ्य' में लेखक ने अपने लेखन के उद्देश्य को क्या बताया है?
उत्तर: लेखक ने बताया कि उनका उद्देश्य प्रसिद्धि नहीं, बल्कि आत्म-संतोष और सच्चाई को अभिव्यक्त करना है। - प्रश्न: जयशंकर प्रसाद ने लेखक के जीवन के बारे में क्या दृष्टिकोण प्रस्तुत किया है?
उत्तर: उन्होंने कहा कि लेखक को सामान्य जीवन जीते हुए समाज के लिए रचनात्मक भूमिका निभानी चाहिए। - प्रश्न: लेखक के अनुसार साहित्य का क्या उद्देश्य होना चाहिए?
उत्तर: साहित्य का उद्देश्य समाज को जागरूक करना और मानवीय मूल्यों को स्थापित करना होना चाहिए।
🎨 भाषा और शैली
- भाषा: सरल, आत्मीय, साहित्यिक हिंदी
- शैली: आत्मकथात्मक, विचारात्मक
- विशेषता: गहराई से भरे भाव, ईमानदारी और दर्शन
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