तुलसीदास – राम-लक्ष्मण-परशुराम संवाद | Class 10 Hindi Chapter 2 Notes
पुस्तक: क्षितिज भाग 2 (काव्य खंड)
लेखक: तुलसीदास
🌟 परिचय
यह काव्यांश गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित रामचरितमानस के बालकांड से लिया गया है। इसमें राम, लक्ष्मण और परशुराम के बीच संवाद दिखाया गया है जो वीरता, विनम्रता और व्यंग्य से भरा है।
🧑💼 लेखक परिचय
- तुलसीदास भक्ति काल के महान कवि थे।
- रामचरितमानस, विनय पत्रिका, हनुमान चालीसा जैसी रचनाएं प्रसिद्ध हैं।
- भाषा: अवधी | शैली: दोहा, चौपाई
📚 पाठ का सारांश (सरल भाषा में)
राम ने जनकपुर में भगवान शिव का धनुष तोड़ दिया। तभी क्रोधित परशुराम वहां पहुंचे और राम से सवाल-जवाब करने लगे। लक्ष्मण ने व्यंग्यात्मक शैली में जवाब दिया जिससे परशुराम क्रोधित हो गए। अंत में राम की विनम्रता और दिव्यता को देखकर परशुराम का अहंकार समाप्त हो गया और वे शांत हो गए।
✍️ मुख्य पंक्तियाँ और भावार्थ
1. क्रोध भए भृगुनंदन देखी लखन को बात।
👉 परशुराम लक्ष्मण की बातों से क्रोधित हो गए क्योंकि वे व्यंग्य से भरी थीं।
2. कहा राम सों करु नयन प्रीति...
👉 राम ने परशुराम से प्रेमपूर्वक और नम्रता से बात करने को कहा।
3. जानी राम प्रभाऊ तब भय भ्रम बिनसाइ।
👉 परशुराम ने जैसे ही राम का असली स्वरूप जाना, उनका भय और भ्रम समाप्त हो गया।
🔍 भाव पक्ष
- लक्ष्मण के संवादों में वीरता और व्यंग्य झलकता है।
- राम अत्यंत विनम्र और शालीन हैं।
- परशुराम धार्मिक, गर्वित लेकिन अंततः विनम्र हैं।
🎨 कला पक्ष
- भाषा: अवधी
- रस: वीर रस, शांत रस
- अलंकार: अनुप्रास, उपमा, व्याज स्तुति
❓ महत्वपूर्ण प्रश्न-उत्तर
- प्रश्न: लक्ष्मण ने परशुराम से कैसा व्यवहार किया?
उत्तर: उन्होंने व्यंग्यपूर्ण और वीरता से भरा व्यवहार किया। - प्रश्न: राम और लक्ष्मण में क्या अंतर दिखाई देता है?
उत्तर: राम शांत और विनम्र हैं, जबकि लक्ष्मण तेजस्वी और व्यंग्यात्मक। - प्रश्न: परशुराम का अहंकार कैसे टूटा?
उत्तर: जब उन्होंने राम के विष्णु रूप को पहचाना।
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