मन्नू भंडारी – साना-साना हाथ जोड़ि... | Class 10 Hindi Chapter 15 Notes
पुस्तक: क्षितिज भाग 2 (गद्य खंड)
लेखिका: मन्नू भंडारी
📘 पाठ परिचय
‘साना-साना हाथ जोड़ि...’ एक यात्रा-वृत्तांतमन्नू भंडारी ने सिक्किम की यात्रा का वर्णन करते हुए वहाँ की प्राकृतिक सुंदरता, सांस्कृतिक विशेषताएँ और मानसिक अनुभवों को बहुत ही आत्मीयता और संवेदनशीलता के साथ प्रस्तुत किया है। यह सिर्फ एक यात्रा का विवरण नहीं है, बल्कि आत्मनिरीक्षण और मानसिक शांति
🧑🎓 लेखिका परिचय
- नाम: मन्नू भंडारी
- जन्म: 3 अप्रैल 1931, मध्य प्रदेश
- मुख्य विधा: कहानी, उपन्यास, आत्मकथा
- विशेषता: यथार्थवाद, नारी चेतना, संवेदनशील लेखन
- प्रसिद्ध रचनाएँ: आपका बंटी, महाभोज, एक कहानी यह भी
📚 पाठ का सारांश
यह पाठ लेखिका की सिक्किम यात्रा पर आधारित है। उन्होंने इस यात्रा के दौरान गंगटोक, यूमथांग, लाचुंग जैसे स्थलों का वर्णन किया है। वह वहाँ के प्राकृतिक सौंदर्य, बर्फ से ढकी चोटियों, और शांति से भरे वातावरण
इस यात्रा के दौरान वे केवल बाहरी दुनिया को नहीं देखतीं, बल्कि अपने भीतर झाँकती हैं, जीवन की जटिलताओं, अकेलेपन और संबंधों को लेकर आत्ममंथन करती हैं। उनका यह लेखन प्रकृति के प्रति प्रेममानव मन की गहराई
‘साना-साना हाथ जोड़ि...’ शीर्षक लद्दाखी संस्कृतिनम्रता और विनम्र स्वागत
💡 मुख्य संदेश
- प्रकृति में मनुष्य को आत्मशांति और सच्ची समझ मिलती है।
- यात्रा केवल स्थानों की नहीं, आत्मा की भी होती है।
- विनम्रता, ध्यान और आत्मनिरीक्षण मानव जीवन को गहराई देते हैं।
🎨 भाषा और शैली
- भाषा: आत्मीय, भावनात्मक और वर्णनात्मक
- शैली: यात्रा-वृत्तांत, आत्ममंथन से युक्त
- मुख्य विशेषता: प्रकृति और मनुष्य के संबंध का सूक्ष्म चित्रण
❓ महत्वपूर्ण प्रश्न-उत्तर
- प्रश्न: ‘साना-साना हाथ जोड़ि...’ शीर्षक का क्या अर्थ है?
उत्तर: यह लद्दाखी भाषा में एक अभिवादन है, जिसका अर्थ होता है ‘विनम्रतापूर्वक हाथ जोड़कर नमस्कार’। - प्रश्न: लेखिका ने इस यात्रा में क्या महसूस किया?
उत्तर: उन्होंने शांति, आत्मनिरीक्षण और प्रकृति की गहराई को अनुभव किया, जिससे उनका अंतर्मन प्रभावित हुआ। - प्रश्न: पाठ में लेखिका ने किन स्थलों का वर्णन किया है?
उत्तर: गंगटोक, यूमथांग, लाचुंग आदि सुंदर स्थलों का उल्लेख किया गया है।
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