शिवपूजन सहाय – माता का आँचल | Class 10 Hindi Chapter 14 Notes
पुस्तक: क्षितिज भाग 2 (गद्य खंड)
लेखक: शिवपूजन सहाय
📘 पाठ परिचय
‘माता का आँचल’ पाठ लेखक शिवपूजन सहाय द्वारा लिखित एक आत्मकथात्मक संस्मरण है, जिसमें उन्होंने माँ की ममता, करुणा और त्याग का सजीव चित्रण किया है। यह कहानी बचपन की कोमल स्मृतियों के माध्यम से माँ के स्नेह और समाज के परिवेश को दर्शाती है।
🧑🎓 लेखक परिचय
- नाम: शिवपूजन सहाय
- जन्म: 9 अगस्त 1893, बिहार
- कार्य: लेखक, संपादक, निबंधकार
- विशेषता: सरल भाषा, आत्मीय शैली, ग्राम्य जीवन का चित्रण
- प्रमुख कृतियाँ: देहाती दुनिया, वे दिन वे लोग, विचार विहार
📚 कहानी का सारांश
यह कहानी लेखक के बचपन की यादों पर आधारित है, जिसमें वह अपने माँ के आँचल की छाया में सुरक्षित महसूस करता है। माँ हर परिस्थिति में उसके लिए ढाल बनती हैं — चाहे बीमारी हो, भय हो या कोई सामाजिक स्थिति।
पाठ में लेखक ने उस समय का भी वर्णन किया है जब उन्हें टीका (टीकाकरण) लगवाने में डर लग रहा था, लेकिन माँ ने धैर्य और स्नेह से उसे संभाला।
कहानी में माँ के आँचल को सुरक्षा, ममता, सहारा और अपनत्व का प्रतीक माना गया है। यह केवल एक भावनात्मक अनुभव नहीं है, बल्कि भारतीय समाज में माँ के महत्व को दर्शाने वाला संवेदनशील चित्रण है।
💡 मुख्य संदेश
- माँ का स्नेह और संरक्षण बच्चे के जीवन की सबसे बड़ी शक्ति होती है।
- बचपन की यादें व्यक्ति के चरित्र निर्माण में अहम भूमिका निभाती हैं।
- माँ का प्रेम निस्वार्थ और अटूट होता है।
🎨 भाषा और शैली
- भाषा: सरल, भावपूर्ण, आत्मीय
- शैली: संस्मरणात्मक, वर्णनात्मक
- मुख्य विशेषता: माँ के चरित्र का भावनात्मक चित्रण
❓ महत्वपूर्ण प्रश्न-उत्तर
- प्रश्न: लेखक ने ‘माँ के आँचल’ को किस रूप में प्रस्तुत किया है?
उत्तर: माँ के आँचल को उन्होंने स्नेह, सुरक्षा और अपनत्व का प्रतीक माना है। - प्रश्न: लेखक को टीका लगवाने से क्यों डर लग रहा था?
उत्तर: क्योंकि उन्हें सूई से डर लगता था और यह अनुभव उनके लिए नया और डरावना था। - प्रश्न: इस पाठ में माँ का कौन-सा रूप उभरकर सामने आता है?
उत्तर: माँ का स्नेहमयी, धैर्यशील, और सहायक रूप प्रस्तुत हुआ है।
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