भदंत आनंद कौसल्यायन – संस्कृति | Class 10 Hindi Chapter 13 Notes
पुस्तक: क्षितिज भाग 2 (गद्य खंड)
लेखक: भदंत आनंद कौसल्यायन
📘 पाठ परिचय
‘संस्कृति’ नामक निबंध में लेखक भदंत आनंद कौसल्यायन ने भारतीय संस्कृति की गहराई, विविधता और जीवन से जुड़ाव को स्पष्ट किया है। यह निबंध बताता है कि संस्कृति केवल धर्म, परंपरा या रीति-रिवाज
🧑🎓 लेखक परिचय
- नाम: भदंत आनंद कौसल्यायन
- जन्म: 1905, पंजाब
- मुख्य कार्य: बौद्ध भिक्षु, विद्वान, लेखक, अनुवादक
- विशेषता: पाली, संस्कृत और हिंदी के विद्वान; बौद्ध दर्शन के प्रचारक
- प्रसिद्ध कृतियाँ: बौद्ध धर्म पर अनेक ग्रंथ, भाषण और निबंध
📚 निबंध का सारांश
इस निबंध में लेखक ने बताया है कि संस्कृति का संबंध केवल पूजा-पद्धति या त्योहारों से नहीं, बल्कि हमारी सोच, व्यवहार, भाषा, संगीत, कला, साहित्य, और समाज के सभी पक्षों से है।
संस्कृति वह होती है जो मनुष्य को विनम्र बनाती है, उसमें सहिष्णुता, समरसता और विचारों की उदारता
लेखक यह भी स्पष्ट करते हैं कि सच्ची संस्कृति वह है जो विकासशील हो – जो समय के साथ बदलाव को स्वीकार करे, लेकिन अपनी मूल आत्मा को न खोए।
💡 मुख्य संदेश
- संस्कृति का संबंध मानव जीवन की समग्रता से है।
- वास्तविक संस्कृति वही है जो उदात्त विचारों और आचरण को बढ़ावा दे।
- भारतीय संस्कृति में सहनशीलता, विविधता और गहराई प्रमुख गुण हैं।
🎨 भाषा और शैली
- भाषा: विचारप्रधान, शुद्ध, तर्कपूर्ण
- शैली: निबंधात्मक, विश्लेषणात्मक
- मुख्य विशेषता: संस्कृति को गहराई से समझाने वाला विवेचन
❓ महत्वपूर्ण प्रश्न-उत्तर
- प्रश्न: लेखक ने संस्कृति को किस रूप में परिभाषित किया है?
उत्तर: लेखक के अनुसार, संस्कृति केवल धर्म या परंपरा नहीं बल्कि जीवन के सभी पहलुओं की अभिव्यक्ति है – जैसे विचार, व्यवहार, कला, साहित्य आदि। - प्रश्न: भारतीय संस्कृति की प्रमुख विशेषताएं क्या हैं?
उत्तर: सहिष्णुता, विविधता में एकता, गहराई, विचारों की स्वतंत्रता और मानवीयता। - प्रश्न: लेखक के अनुसार संस्कृति का विकास कैसे होता है?
उत्तर: संस्कृति को समय के साथ विकसित और बदलते रहना चाहिए, परंतु उसे अपनी मूल आत्मा और मूल्यों को बनाए रखना चाहिए।
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