जायसी मित्रा – नौबतखाने में इबादत | Class 10 Hindi Chapter 12 Notes
पुस्तक: क्षितिज भाग 2 (गद्य खंड)
लेखिका: जायसी मित्रा
📘 पाठ परिचय
‘नौबतखाने में इबादत’ एक सच्ची घटना पर आधारित प्रेरक कथा है, जो मानवता, सहिष्णुता और सामाजिक न्यायहिजड़ा समुदाय के लोगों के साथ हो रहे भेदभाव और समाज द्वारा उनकी उपेक्षा के विरुद्ध उठाई गई एक साहसी आवाज।
🧑🎓 लेखिका परिचय
- नाम: जायसी मित्रा
- जन्म: 1935, पश्चिम बंगाल
- मुख्य विधाएँ: कहानियाँ, उपन्यास, नाटक
- विशेषता: सामाजिक समस्याओं पर आधारित लेखन
- प्रमुख रचनाएँ: नौबतखाने में इबादत, ये कौन लोग हैं
📚 कहानी का सारांश
इस कहानी में एक हिजड़ा व्यक्ति, रमजान को उसके समुदाय के साथ ईदगाह में नमाज़ पढ़ने से रोका जाता है। वह अपने अधिकार के लिए लड़ता है और कोर्ट में केस दर्ज करता है। कोर्ट का फैसला आता है कि किसी भी व्यक्ति को, चाहे उसका लिंग, जाति या पहचान कुछ भी हो, धार्मिक स्थलों में इबादत से नहीं रोका जा सकता।
यह निर्णय ना सिर्फ रमजान के लिए, बल्कि पूरे किन्नर समुदाय के लिए एक बड़ी जीत बन जाता है। यह कहानी समाज की उन रूढ़ियों को तोड़ती है जो इंसानों को उनकी पहचान के आधार पर अलग करती हैं।
लेखिका ने इस पाठ के माध्यम से समानता, सम्मान और न्याय
💡 मुख्य संदेश
- प्रत्येक व्यक्ति को अपने धर्म का पालन करने और पूजा करने का समान अधिकार है।
- लिंग और पहचान के आधार पर भेदभाव करना अमानवीय है।
- सामाजिक न्याय केवल कानून से नहीं, बल्कि सोच में बदलाव से आता है।
🎨 भाषा और शैली
- भाषा: सहज, संवेदनात्मक और प्रभावशाली
- शैली: सामाजिक यथार्थ पर आधारित, भावनात्मक
- मुख्य विशेषता: समाज के उपेक्षित वर्ग की आवाज को उठाना
❓ महत्वपूर्ण प्रश्न-उत्तर
- प्रश्न: रमजान ने कोर्ट में केस क्यों दर्ज कराया?
उत्तर: क्योंकि ईदगाह में उसे इबादत से रोका गया था और वह अपने धार्मिक अधिकारों के लिए न्याय चाहता था। - प्रश्न: ‘नौबतखाने में इबादत’ कहानी का मुख्य उद्देश्य क्या है?
उत्तर: समाज में समानता, मानवता और न्याय की भावना को जाग्रत करना। - प्रश्न: यह कहानी हमें क्या सिखाती है?
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